मिस्र दयालपुर में गूंजी रामधुन: हुआ विशाल भंडारा: हनुमानजी करते हैं भक्तों की रक्षा

मिश्रदयालपुर हनुमान नगर संकट मोंचन धाम हनुमान मन्दिर पर दर्शन पूजन को भरी संख्या में उमङे दूर-दराज से श्रृद्धालुओं की भीङ ।
कुण्डा-प्रतापगढ़। राम नाम जप करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की रक्षा हनुमान जी महराज सदैव कवच बनकर करते है। राम नाम के जप में वह शाक्ति है कि उससे सारे अपराध माफ हो जाते है। यही वजह है कि राम से अधिक प्रभाव शाली राम का नाम होता है।
बालयोगी जी ने राम भगवान जी व रामयाण की महिमा का बखान विस्तार से करते हुए कहा कि जो लोग राम की कथा और रामयाण का अज्ञानता बस उपहास निन्दा करते है वे राम के और राम भक्तों के तथा सनातन धर्म के बिरोधी है। ऐसे लोगो से सावधान रहने की जरूरत है। राम हमारे पूज्यनीय थे और पूज्यनीय है और पूज्यनीय रहेंगे। राम भगवान और रामयाण हमारे ऐसे आदर्श है जो सबके पूज्य है। राम की महिमा अपरम्पार है। राम भगवान जी अपने भक्तों को मनवांक्षित फल देते है। यह उपदेश थाना हथिगवां अन्तर्गत ग्राम मिश्रदयालपुर हनुमान नगर गांव में स्थित प्राचीन पीठ सिद्ध-संकट मोंचन धाम हनुमान मन्दिर पर चैत्र राम नौमी को दिब्य दरबार में दूर-दराज से उमङे श्रृद्धालुओं के बीच तपस्वी महात्मा बालयोगी जी महराज ने राम भगवान जी महिमा का वर्णन करते हुए कही।
स्वामी जी ने बताया कि एक बार काशी नरेश भगवान राम का दर्शन करने गए थे,सबको प्रणाण किया , लेकिन राम के गुरू विश्वामित्र की अवहेलना कर दी।इस पर विश्वामित्र बहुत नाराज हुए। तो राम ने गुरू का अपमान करने वाले को मृत्युदंड देने की प्रतिज्ञा की। यह जानकरी काशी नरेश हनुमान की मां अंजना के शरण में गए और उनसे रक्षा का वचन लिया लेकिन जब उन्हे यह मालूम हुआ कि इसे प्राणदण्ड देने की प्रतिज्ञा स्वयं राम ने की है तो वे चिन्तित हुई क्यों कि राम की प्रतिज्ञा अटल थी। इसी बीच राम भक्त हनुमान जी महराज आज पहुंचे और मां को दुखी देख कारण पूछा तो ने पूरा वृतांत सुनाया और शरणागत की रक्षा करने का वचन मांगा। इस पर मां को आश्वस्त करते हुए हनुमान जी काशी नरेश को लेकर राम के पास पहुंचे और काशी नरेश को सरयू के जल मे खङे होकर राम नाम का जाप करने को कह स्वयं राम के पास पहुँचकर उनके चरणो मे लेट गए और कहा कि प्रभु हमें यह वरदान दीजिए कि आपके नाम का जप करने वाले की मै सदा रक्षा करूँगा और मेरे रहते आपके नाम जापक पर कोई प्रहार न कर सके।अगर आपके नाम जापक पर संपूर्ण सृष्टि का स्वामी भी प्रहार कर बैठे तो उसका भी प्रहार व्यर्थ सिद्ध हो जाए।तब भगवान राम ने कहा ऐसा ही होगा। उधर काशी नरेश राम नाम के जप में लीन रहें। इधर सरयू तट पर विशाल समूह हनुमान जी के रहस्य को जानने के लिए खङा था। भगवान ने अपनी प्रतिज्ञानुसार काशी नरेश को लक्ष्य कर बाण मारा,लेकिन बाण वापस आ गया और बताया कि प्रभु काशी नरेश तो राम नाम का जाप कर रहे है। और बगल मे रक्षा करने के लिए हनुमान जी महराज खङे है। राम असमंजस में पङ गए और कुलगुरू वशिष्ठ व विश्वामित्र के समझाने पर राम ने अपना क्रोध शांत किया और विश्वामित्र द्वारा काशी नरेश को क्षमा कर दिए जाने से अपनी प्रतिज्ञा वापस ली। इस तरह रामजी का जै जैकार होने लगा और राम से अधिक प्रभाव शाली उनके नाम की महिमा रही। हनुमान जी की उपासना करने वाले पर कभी भी किसी भी प्रकार का संकट नहीं टिक सकता है।श्री राम कथा व हनुमान जी कथा का यही सार है।इस दौरान हनुमत दरबार पर दर्शन पूजन हवन के लिए दूर-दराज से नर नारी श्रृद्धालुभक्तों का सुबह से देर रात तक लगा रहा इस अवसर पर बालयोगी जी महराज,तपस्वनी माता जी,विवेक जी महराज बजरंग सेना तहसील अध्यक्ष कुण्डा एवं राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ जिला उपाध्यक्ष प्रतापगढ़, युवा नेता हरिओम दीक्षित जी बिल्हौर कानपुर,उदय सिंह,सीमा सिंह प्रधानाचार्य,आदर्श प्रताप सिंह, सुप्रिया सिंह,हरिओम सिंह,निशा देवी मौर्या, शिव प्रसाद तिवारी,जटा शंकर पाङेय, सरजू देवी श्रीवास्तव, रूवी श्रीवास्तव,राधा गुप्ता,अनुज गुप्ता, राम प्रताप मौर्य,अजीत सिंह,अरविंद सिंह,राम नरेश केशरवानी,शेषनाथ मिश्र,विमल कुमार मिश्र,शिव चरण गुप्ता, बन्दना देवी,रामकृष्ण शुक्ल, ऊषा देवी,कृष्ण नारायण श्रीवास्तव, बन्शी लाल मौर्य,राम मूरत निर्मल, फूलचन्द्र प्रजापति, मिथुन धुरिया, राघव यादव,संजय केशरवानी, लल्लू लाल श्रीवास्तव, खुशी देवी,आदि समेत भारी संख्या में दूर-दराज से श्रृद्धालुओं ने हनुमत दरबार पर अपनी मनते मांग मांथा टेककर भण्डारे में महा प्रसाद ग्रहण किया।