स्वामी प्रसाद मौर्य की पिछड़ी और दलितों में बढ़ती पैठ से भाजपा में बेचैन:

लखनऊ। जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवाद शुरू किया तो भाजपा को लगा था कि इसका असर मोदी की योजना का लाभ ले रहे पिछड़ी और दलित जातियों पर नहीं पड़ेगा लेकिन भाजपा के अनुमान के विपरीत एक सर्वे के मुताबिक मानस विवाद में स्वामी प्रसाद मौर्य की लोकप्रियता दलितों और आदिवासियों में मोदी के बराबर जा पहुंची है।
कल स्वामी प्रसाद जब बाराबंकी सुल्तानपुर और जौनपुर के दौरे पर निकले तो जिस तरह जगह-जगह पिछड़े और दलित समाज द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया उसने भाजपा की नींद उड़ा रखी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने अपने सभी नेताओं को मानव विवाद पर चुप रहने की हिदायत दी है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर स्वामी प्रसाद ने एजेंडे को आगे बढ़ाया:
इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य मानस के विवादित चौपाई को हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को पत्र लिखकर जो राजनीतिक दांव चला है उसे भी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली है। प्रधानमंत्री मोदी यदि इस पत्र पर खामोश रहते हैं तो स्वामी प्रसाद मौर्य को पिछड़े और दलित समाज के बीच जाकर यह कहने का मौका लगेगा कि प्रधानमंत्री पिछड़ों और दलितों के हितैषी नहीं है और इन तरीकों में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे और यदि प्रधानमंत्री इस मामले पर मानस के खिलाफ कुछ भी कहते हैं तो मोहन भागवत से पहले से ही नाराज सामान्य वर्ग भाजपा से दूर जा सकता है।